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शनिवार, 27 अगस्त 2011

....और सुषमा ने फाड़ डाला


जन लोकपाल के मुद्दे पर लोकसभा में हुयी बहस के दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सत्ताधारी कांग्रेस की जम कर क्लास ली और एक बार पुनः साबित कर दिया कि सदन में भाजपा के ही लोग बिना लिखा हुआ भाषण पढ़ सकते है. अपने संबोधन में शून्यकाल के दौरान "अमूल बेबी" राहुल द्वारा बिना सर पैर का लंबा चौड़ा लिखा हुआ भाषण पढ़ने पर आपत्ति जताया और केन्द्रीय जांच ब्यूरो को कांग्रेस बचाओ संस्था तक कह डाला. उन्होंने कहा
कि इतिहास ने संसद को यह एक ऐतिहासिक मौका दिया है और इस अवसर से हमें चूकना नहीं चाहिए। अगर हम आज यह मौका चूके तो आने वाली पीढि़यां भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हो पाएंगी। निचले स्तर की नौकरशाही को अधिक जवाबदेह बनाए जाने की वकालत करते हुए सुषमा ने कहा कि छोटे स्तर के भ्रष्टाचार से जनता अधिक परेशान है और यही कारण है कि आज देशभर में लोग आन्दोलन कर रहे है. सुषमा ने अडवानी समेत मदन लाल खुराना और लालू, मुलायम जैसे नेताओं को सीबीआई द्वारा कांग्रेस के इशारे पर झूठे मामलों मे फ़साने का आरोप भी लगाया. इस बीच कुछ चाटुकार कांग्रेसियों को छोड़ कर सारा सदन सुषमा के साथ नजर आ रहा था. लोकपाल पर बोलते हुए वे सबसे ज्यादा सीबीआई पर बरसती नज़र आई. सीबीआई को लोकपाल के दायरे मे रखा जाए लेकिन न्यायपालिका को इससे बाहर रखा जाए. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को लोकपाल के नीचे लाने की बजाय एक राष्ट्रीय न्यायिक आयोग गठित किया जाना चाहिए जो न्यायधीशों की नियुक्तियों और उन्हें पद मुक्त करने का प्रावधान तय करे, ताकि उन पर कोई प्रश्नचिन्ह न न लगे। सुषमा के अनुसार, दो अपवादों को छोड़कर प्रधानमंत्री का पद लोकपाल के दायरे में आना चाहिए। यह दो अपवाद राष्ट्रीय सुरक्षा और पब्लिक आर्डर का मुद्दा है। अपने वक्तव्य के बीच सुषमा पूरे सत्ता पक्ष पर भारी दिखी. तर्क सांगत और तथ्यात्मक बातें, वो भी बिना लाग- लपेट के जिस तरह से उन्होंने रखी, कांग्रेस को इससे बहुत कुछ सिखाने की जरुरत है. सुषमा के तीखे शब्द कई बार लोकसभा की मुखिया मीरा कुमार को भी लज्जित कर रहे थे, यही नहीं मनमोहन सिह तो बहुत असहाय से लगे. कुल मिला कर विपक्ष की नेता की हैसियत से सुषमा ने आज जिस तरह सत्ता को निशाना बनाया, कांग्रेस की फटती हुई नजर आयी.








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