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रविवार, 27 मई 2012

भारी पड़ सकता मोदी को अहंकार

nitin gadkari ko shayad unki had me rahne ki
nasihat de rahe hai narendr modi
 कांग्रेस की ओर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा गया है कि मोदी में हिटलर के प्रचार मंत्री जोसेफ गोब्बेल्स की आत्मा समा गयी है. हाल में मुम्बई में संपन्न बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी मीटिंग में मोदी ने दिल्ली की सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमला बोलते हुए इस सरकार को चर्चित तांत्रिक निर्मल बाबा के दरबार के संज्ञा दी थी. इस पर नाराज कांग्रेसियों ने मोदी को जर्मनी के नाजी नेता गोब्बेल्स कह दिया है. मोदी पर हुए इस प्रहार से तमतमाई भाजपा ने कांग्रेसी नेताओं पर अदूरदर्शिता का आरोप लगाते हुए कहा है कि किसी भी नेता के विरोध का ये तरीका कतई उचित नहीं है कि उसको इस तरह कुख्यात की संज्ञा दे दी जाय. मोदी को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप  के इस दौर ने सियासी गलियारे में सुर्खियाँ बटोरना शुरू कर दिया है. इस बीच एक सवाल ये उठाता है कि आखिर बीजेपी मोदी की तानाशाही को इतना झेल क्यूँ रही है. मुम्बई की कार्यकारिणी बैठक में आने से पहले मोदी ने जिस तरह से पार्टी और संघ को घुटने टेकने को मजबूर किया, वो किसी से छिपा नहीं है. मोदी की जिद के आगे भाजपा को झुकना पडा और पार्टी के निष्ठावान संघी कार्यकर्ता संजय जोशी को बाहर का रास्ता दिखाना पडा. यह कोई पहली घटना नहीं है, जब पार्टी को मोदी के सामने बेपानी होना पडा हो. क्या मोदी पार्टी से बड़े हो गए हैं जो जब चाहे, आँख दिखाते रहते हैं. ये बात तो सोलह आने सच है कि भाजपा में पहली कतार के किसी भी नेता में इतनी माद्दा नहीं है कि वो राष्ट्रीय स्तर पर इतनी वोट हासिल कर सके कि दिल्ली की कुर्सी पाई जा सके. गडकरी को भले ही पार्टी का मुखिया बना दिया गया हो, लेकिन वह महाराष्ट्र से बाहर अपनी कुछ ख़ास पहचान नहीं रखते. राजनाथ भी भारी-भरकम कद-काया के बावजूद जमीनी स्तर पर बहुत ही कमजोर हैं. यूपी के बहार उनको भी कम ही पहचान मिलती है. अडवानी तो अब गुजरे जमाने की बात होते जा रहे हैं. बस एक सुषमा है, लेकिन  पार्टी में उनको उतना महत्त्व दिया नहीं जाता. रही बात जेटली, रविशंकर और मुख्तार की, तो ये तीनों सिर्फ मीडिया तक ही सीमित हैं. ऐसे में मजबूर भाजपा के पास मोदी ही एक मात्र विकल्प बचाते हैं, लेकिन इस बात की बड़ी कीमत माग रहे हैं नरेंद्रभाई. जब चाहते हैं पार्टी नेतृत्व को झुका लेते हैं. शायद यह भूल रहे हैं कि आज वो जो भी हैं बीजेपी की वजह से ही, लेकिन उनको इस बात का बिलकुल भान नहीं है. मोदी का अहंकार आज इस तरह पार्टी आला कमान पर हाबी होता जा रहा है कि उनके सामने हर नेता बौने होते जा रहे हैं. यह बीजेपी के लिए ही नहीं मोदी के लिए घातक हो सकता है.

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