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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

तानाशाह माया की डगर है मुश्किल


दलितों के वोट पर तीसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री और अब देश की प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रही बसपा सुप्रीमो मायावाती की तानाशाही के किस्से इस दिनों आम हो गए हैं. बसपा सुप्रीमो की शाहखर्ची को विकिलीक्स ने जिस तरह से फ्लैश किया है, उससे लगता है की कांशीराम ने जिन उद्देश्यों को लेकर पार्टी स्थापित की थी, मायावती उससे भटक गयी है. अमेरिकी दूतावास के गोपनीय संदेशों का खुलासा करने वाली विकिलीक्स की इस रिपोर्ट में मायावती को तानाशाही के अंदाज में काम करने वाली मायावती महिला बताया गया है.जबकि मया ने विकिलीक्स के खुलासों को बकवास बताते हुए इसे विरोधियों की साजिश करार दिया. घर से दफ्तर जाने के लिए विशेष सड़क बनवाना, अपने ब्रांड की चप्पलें लेने लखनऊ से मुंबई सरकारी विमान भेजना, खाना बनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास में नौ रसोइयों की फौज तैनात करने के आलावा भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए खाद्य निरीक्षक तैनात करने के आरोप माया पर लगे है. कोइ विरोधी खाने में जहर ना मिला दे, इस बात का माया को बड़ा खौफ है, इस वजह से ही एक खाद्य निरीक्षक तैनात कर रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रदेश के हर छोटे-बड़े फैसले माया या तो खुद करती है या उनकी चौकड़ी की नजर इन पर रहती है. जन्मदिन पर उपहार में लाखों रुपये लेने के साथ ही चुनाव में पार्टी का टिकट बेचकर करोडो कमाने का भी आरोप है.यह भी बताया गया है कि अगर किसी मंत्री ने बिना माया की मर्जी के कोई कदम उठा लिया तो उसको कान पकड़ कर उठाना-बैठना पड़ता है. यूपी के अधिकारी तो मुख्यमंत्री के डर से गाय की तरह कापते है.
ज्ञात होकि गत विधान सभा चुनाव मे ब्राह्मण- मुस्लिम गठजोड़ के चलते दलितों का वोट बैंक भुना कर स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने वाली मायावती लगता है इस बार यूपी की सत्ता से दूर रहने वाली है, क्योकि ब्राह्मण अब बसपा से किनारा करने लगे है.

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