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सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

बेटे-बेटियों की सक्रियता से नेताओं को मिली फुर्सत

महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टियों को बढ़त दिलाने उतरे सभी नेताओं के पुत्रों और पुत्रियों ने मोर्चा संभाल लिया है, ताकि उनके पिता पूरे सूबे में घूम-घूम कर प्रचार कर सकें और उनकी सीट पर प्रचार सुचारु ढंग से चलता रहे। चुनाव प्रचार में लगे नेता पुत्रों में पहला नाम आता है आदित्य ठाकरे का, जो पार्टी की युवा इकाई के मुखिया भी है, ने मुंबई समेत राज्यभर में रैलियां करके शिवसेना के पक्ष में युवाओं को जोडऩे का अभियान  चला रखा है। इसी तरह कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने भी अपने दोनों पुत्रों को कोंकण में लगा रखा है। निलेश राणे जो पूर्व सांसद हैं अपने अनुज और स्वाभिमान संगठन के अध्यक्ष नितेश राणे के साथ कोंकण के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग और रायगढ़ जिले में कांग्रेस की ओर से व्यापक प्रचार अभियान छेड़े हुए हं। इस चुनाव में तो राज ठाकरे ने भी अपने पुत्र अमित को राजनीतिक प्रशिक्षण के लिए प्रचार में उतार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे भले ही पूरे राज्य में पार्टी के प्रचार में लगे हों, लेकिन उनके पुत्र राहुल ठाकरे यवतमाल जिले में सक्रिय हैं। वैसे तो वरिष्ठ नेताओं की कई संतानों को चुनाव लड़ते हुए देखा जा रहा  है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अमित लातूर में, तो  पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणिती सोलापुर में एवं भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा अपनी बहन प्रितम के साथ न सिर्फ अपने गृह जिले बीड में भाजपा की कमान संभाले हुए हैं, बल्कि पूरे राज्य में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी भी पार्टी नें पंकजा को सौंप रखी है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले भी प्रदेश भर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने के लिए सक्रिय हैं। वरिष्ठ राकांपा नेता विजयसिंह मोहिते पाटील के बेटे रणजीत सिंह भी लंबे समय से पिता की विरासत संभाले हुए हैं और इस चुनाव में उन्हें भी काफी सक्रिय देखा जा रहा है।  नंदुरबार राकांपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री विजय गावित, जो अभी भाजपा में हैं और पूरे जिले में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं, लेकिन उनकी सांसद पुत्री डॉ. हिना गावित ने पिता की सीट पर मोर्चा संभाल रखा है। स्थानीय स्तर पर अगर देखा जाए, तो मुंबई में पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड की बेटी जो पूर्व में राज्य की मंत्री रही हंै, इस बार भी धारावी से मैदान में हैं। इसी तरह नवी मुंबई राकांपा के वरिष्ठ नेता गणेश नाईक के बड़े बेटे पूर्व सांसद संजीव इस बार के चुनाव में बेलापुर से अपने पिता गणेश और छोटे भाई संदीप का ऐरोली में चुनाव प्रचार संभाल रहे है। ठाणे शहर से राकांपा के दिग्गज नेता वसंत डावखरे इस चुनाव में अपने बेटे निरंजन को टिकट दिलाने में कामयाब रहे है। जो ठाणे शहर सीट से एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैंं। वहीं शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के पुत्रपूर्वेश भी माजीवड़ा- ओवला सीट पर अपने पिता को कामयाबी दिलाने के लिए प्रयत्नशील हैं। कुलाबा से भाजपा प्रत्याशी राज के. पुरोहित ने भी पुत्र आकाश को चुनावी जिम्मेदारी सौंप कर आगामी सियासत  के लिए तैयार होने का इंतजाम कर दिया है।  वसई- विरार के नेता हितेन्द्र ठाकुर का बेटा क्षितिज नालासोपारा से खुद चुनाव लड़ रहा है, तो भाईंदर से राकांपा प्रत्याशी गिल्बर्ट मेंडोसा की दो पुत्रियां  और एक पुत्र उनके चुनाव कार्य को संभाले हुए हैं। मेंडोसा की बड़ी बेटी केटलीन महापौर हैं, तो बेटा वेंचर और बेटी असेन्ला कार्पोरेटर हैं। दहिसर से शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनोद घोसालकर के प्रचार की कमान जहां उनके नगरसेवक पुत्र अभिषेक ने संभाल रखी है, वहीं दिंडोशी के विधायक राजहंस सिंह के पुत्र नितेश भी पिता की राजनैतिक विरासत को संभालते हुए चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। 
इस चुनाव में अपनी संतानों को काम पर लगाकर नेतागण जहां उनके प्रशिक्षण का इंतजाम कर दिये हैं, वहीं नेताओं को भी काफी राहत महसूस हो रही है और वे अपना क्षेत्र छोड़कर राज्य भर में दौरे करके प्रचार कर रहे हैं।