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शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

दक्षिण मध्य मुंबई में निर्णायक होंगे भूमिपुत्र मतदाता

लगातार दो बार से कांग्रेस के सांसद रहे एकनाथ गायकवाड़ को हराकर शिवसेना ने भले ही दक्षिण मध्य संसदीय सीट पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की स्थिति ठीक ठाक लग रही है। इतना जरूर है कि लोकसभा क्षेत्र की बहुत सी सीटें मराठी बाहुल्य हैं। अगर भूमिपुत्र मतदाता एकजुट हुए तो इस क्षेत्र में शिवसेना का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। दक्षिण मध्य संसदीय क्षेत्र में चेंबूर में कांग्रेस के चंद्रकांत हंडोरे विधायक हैं, तो अणुशक्ति नगर सीट से राकांपा के नवाब मलिक गत चुनाव में जीते हुए थे। धारावी सीट पर कांग्रेस की वर्षा गायकवाड तथा सायन कोलीवाड़ा से कांग्रेस के ही जगन्नाथ शेट्टी निवर्तमान विधायक हैं। इसी तरह वडाला सीट भी कांग्रेस के खाते में हैं, जहां से कालिदास कोलंबकर विधायक हैं और माहिम विधानसभा क्षेत्र पर मनसे का कब्जा है। यहां से नितिन सरदेसाई पिछले चुनाव में जीते थे। क्षेत्र की ६ विधानसभा सीटों में से ४ पर जहां कांग्रेस काबिज है, वहीं एक सीट मनसे के खाते में है तथा एक सीट पर राकांपा को जीत मिली थी। अब अगर इस चुनाव की बात करें, तो बदले हुए समीकरणों के साथ सभी दलों की निगाहें यहां के बहुसंख्य मराठी मतदाताओं पर लगी है। सबसे पहले नजर डालते हैं चेंबूर सीट पर, जो बौद्ध बाहुल्य मानी जाती है। यहां से कांग्रेस का दलित चेहरा माने जाने वाले चंद्रकांत हंडोरे लगातार दूसरी बार विधायक हैं। हंडोरे के सामने शिवसेना ने प्रकाश फातफेकर को उम्मीदवारी देकर दलित मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया है।  भाजपा की ओर से यह सीट गठबंधन के तहत आरपीआई को दी गई है। आरपीआई के टिकट पर यहां से माफिया डान छोटा राजन के भाई दीपक निखालजे प्र$त्याशी हैं। यहां देखना यह है कि दलित मतदाताओं का झुकाव किस तरफ होता है। वैसे अगर दलित वोट हंडोरे और निखालजे में बंटे और मराठी मतदाता एकजुट रहे, तो यहां बाजी शिवसेना के हाथ लग सकती है। इसके बगल की सीट अणुशक्ति नगर से वर्तमान राकांपा विधायक और पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक फिर से मैदान में हैं। जिनके सामने शिवसेना ने तुकाराम काते को उतारा है और भाजपा के टिकट पर संदीप असोलकर मैदान में हैं। यहां राकांपा और शिवसेना में कांटे की टक्कर के बावजूद मलिक की स्थिति ठीकठाक लग रही है। इस सीट पर सबकुछ निर्भर करता है मराठी मतदाताओं पर । उनका एकमुश्त झुकाव जिधर हुआ, विजयश्री उसी खेमे की होगी। क्षेत्र की एकमात्र सुरक्षित सीट है धारावी की, जहां से पूर्व मंत्री वर्षा गायकवाड़ कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार मैदान में हैं। वर्षा पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड़ की बेटी हैं और दो बार विधायक रह चुकी हैं। उनके सामने भाजपा ने नगरसेविका दिव्या ढोले को उतारा है। शिवसेना के टिकट पर पूर्व विधायक बाबूराव माने मैदान में हैं। यहां वर्षा और बाबूराव के बीच जोरदार मुकाबला होने की संभावना है। सायन कोलीवाड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक जगन्नाथ शेट्टी फिर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके सामने शिवसेना के मंगेश साटनकर और भाजपा नगरसेवक तमिल शेलवन मैदान में हैं। यहां शेट्टी और साटनकर के बीच रोचक मुकाबला देखा जा रहा है। इसी तरह वडाला सीट पर कांग्रेस के विधायक कालिदास कोलंबकर फिर से मैदान में उतरे हैं। कोलंबकर किसी जमाने में शिवसेना के कद्दावर विधायक माने जाते रहे हैं, जो नारायण राणे के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे और शिवसेना की विधायकी से इस्तीफा देकर उप चुनाव में कांग्रेस के बैनर तले फिर से विधायक चुने गये। इस बार कोलंबकर का सामना शिवसेना के हेमंत डोके और भाजपा के मिहिर कोटेचा से होना है। यहां भी कांग्रेस और शिवसेना में ही भिड़ंत होती दिख रही है। लेकिन सारा दारोमदार मराठी वोटर्स पर निर्भर करेगा। अब बात माहिम विधानसभा सीट की, जहां से मनसे के निवर्तमान विधायक नितिन सरदेसाई के सामने शिवसेना के सदा सरवणकर मजबूती के साथ प्रचार में जुटे हैं। भाजपा ने इस सीट पर विलास अंबेकर को उतारा है। कांग्रेस के दो बागी हेमंत नंदपल्ली और संदीप कटके ने नामांकन करके कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव से पहले ही कमजोर कर दिया है। गत चुनाव में यहां सदा सरवणकर कांग्रेस के टिकट पर उतरे थे। उस समय वे राणे के साथ शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में गये थे। इस बार पुन: अपने घर (शिवसेना) में आकर विधानसभा चुनाव में न सिर्फ किस्मत आजमा रहे हैं, बल्कि मनसे के कद्दावर नेता नितिन सरदेसाई को जोरदार टक्कर भी दे रहे हैं। दक्षिण मध्य मुंबई संसदीय सीट का गहन अध्ययन करने पर निष्कर्ष यही निकलता है कि यहां से मराठी मतदाताओं को जो भी अधिक से अधिक खींच लेगा, उसके ही ज्यादा विधायक चुने जाएंगे। 

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