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रविवार, 5 अक्टूबर 2014

उत्तर पूर्व में संख्या बढ़ाने उतरी भाजपा, मनसे के लिए अस्तित्व का संकट

 महानगर की उत्तर पूर्व सीट का इतिहास-भूगोल शुरू से बड़ा अजीब रहा है। यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता हसू आडवाणी, प्रमोद महाजन, जयवंतीबेन मेहता, प्रकाश मेहता और सरदार तारासिंह ने सियासत की लम्बी पारी खेली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरुदास कामत भी इसी सीट से पहले सांसद हुआ करते थे। यहां की अलग-अलग विधान सभा क्षेत्रों में कहीं गुजराती तो कहीं पर मराठियों का बाहुल्य है। किसी इलाके में सिंधी तो कहीं अल्पसंख्यक मुसलमानों का बाहुल्य है। इस क्षेत्र की दो विधानसभाओं पर वत्र्तमान में भाजपा का कब्जा है, तो तीन सीटें मनसे के कब्जें में रहीं। एक सीट पर समाजवादी पार्टी का विधायक गत चुनाव में जीता था।  
सबसे पहले ठाणे शहर की सीमा से सटी मुलुंड विधान सभा सीट पर चर्चा करते हैं। यहां बीजेपी के सरदार तारा सिंह लम्बे समय से कब्जा जमाये हुए हैं। यहां 2004 में सरदार को 90 हजार वोट मिले थे, तो 2009 में उनके मत घट कर 65 हजार हो गए थे। तारा सिंह के मतों के घटने का क्रम गत चुनाव की तरह ही जारी रहा तो इस बार यहां बीजेपी को बड़ी मुश्किल हो जाएगी। यहां सरदार तारा सिंह के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस ने जहां अपने पूर्व एमएलसी चरणसिंह  सप्रा को उम्मीदवारी दी है, वहीं शिवसेना ने प्रभाकर शिंदे को उतार कर इलाके के मराठी मतों को साधने की कोशिश की है। राकांपा के टिकट पर नंदकुमार वैती और मनसे की तरफ से सत्यवान दलवी मैदान में हैं। इस सीट पर सरदार तारा सिंह का सामना या तो चरणसिंह सप्रा से होगा या फिर शिवसेना के प्रभाकर शिंदे से उनकी टकराहट होगी। हिंदीभाषियों के साथ ही इस इलाके में मराठी और सिंधी लोगों की संख्या बहुतायत है। अब बात विक्रोली सीट की, जहां से रांकापा ने अपने पूर्व सांसद संजय दीना पाटील पर दांव लगाया है। मनसे के वर्तमान विधायक मंगेश सांगले, शिवसेना सांसद संजय राऊत के अनुज सुनील राऊत शिवसेना के टिकट पर और कांग्रेस की ओर से संदेश म्हात्रे मैदान में हैं। यहां भाजपा का उम्मीदवार नहीं है। इस सीट पर गठबंधन के मित्र दल आरपीआई ने विवेक पंडित को टिकट दिया है। यह सीट राकांपा के लिए जितनी प्रतिष्ठापरक है, उससे कहीं ज्यादा मनसे के लिए । राकांपा अपने पूर्व सांसद को उतारकर यहां कब्जा जमाना चाह रही है, तो मनसे अपनी विधायकी बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इस सीट पर गत चुनाव में तत्कालीन सांसद संजय पाटिल की पत्नी पल्लवी राकांपा की प्रत्याशी थी, जिनको मनसे उम्मीदवार मंगेश सांगले ने बड़े अंतर से पराजित किया था। अब संजय पाटिल के सामने पत्नी की हार का बदला लेने की बड़ी चुनौती है। घाटकोपर पूर्व की सीट गुजराती बाहुल्य है। यहां गुजराती-मारवाड़ी जैनों के ४५ हजार से अधिक वोट हैं। इसी के सहारे भाजपा के प्रकाश मेहता गत कई चुनावों से जीतते आ रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने उनके सामने प्रवीण छेड़ा के रूप में जैन प्रत्याशी उतार दिया है। जगदीश चौधरी यहां शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो सतीश नारकर मनसे के टिकट पर उतरे हैं। राकांपा ने नगरसेविका राखी जाधव को टिकट दिया है। स्थितियों को देखकर यही लगता है कि यहां प्रकाश मेहता और प्रवीण छेड़ा के बीच में ही मुकाबला होगा। भांडुप पश्चिम सीट पर मनसे के शिशिर शिंदे वर्तमान में विधायक हैं और फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनका सामना भाजपा के मनोज कोटक, शिवसेना नगरसेवक अशोक पाटिल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण राणे समर्थक श्याम सावंत से होना है। आरपीआई ने गठबंधन धर्म तोड़ते हुए यहां अनिल गागुर्डे को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतारा है। इस सीट पर मनसे और शिवसेना में टक्कर देखी जा रही है। घाटकोपर पश्चिम सीट पर मनसे के रामकदम गत चुनाव में जीते थे, जो अब भाजपा के हो लिए हैं। कदम की जगह मनसे ने उन्हें चुनौती देने के लिए अपने नगरसेवक व विभागीय अध्यक्ष दिलीप लांडे को उम्मीदवारी दी है। शिवसेना के सुधीर मोरे और कांग्रेस के रामगोविंद यादव भी इस सीट पर मैदान में हैं। राकांपा के नगरसेवक हारुन खान भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां राम कदम या तो मनसे से टकराएंगे या फिर उनका मुकाबला शिवसेना से होगा। मानखुर्द शिवाजी नगर की सीट मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है। ९० के दशक में यहां शिवसेना का कब्जा हुआ करता था। परिसीमन के बाद गोवंडी इलाका इस क्षेत्र में समाहित हो गया, जिससे यहां अल्पसंख्यक मतदाता ज्यादा हो गये हैं। इस सीट पर सपा के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी वर्तमान में विधायक हैं। उनके सामने कांग्रेस ने यूसुफ अब्राहनी को उतारा है। शिवसेना ने पूर्व नगरसेवक बुलेट पाटिल को टिकट दिया है। भाजपा की ओर से शनीम बानू मैदान में हैं। मनसे ने सुहैल अशरफ को उतारा है तथा इस सीट पर ओवैसी की पार्टी का उम्मीदवार भी मैदान में है। यहां भाजपा की हालत सबसे कमजोर है। पार्टी ने जिस शनीम को टिकट दिया है, वो गत लोकसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ी थी और हजार के भीतर ही वोट पा सकी थी। अब भाजपा ने शनीम पर दांव लगाकर घाटे का सौदा किया है। इस संसदीय सीट पर पहले से मनसे के तीन विधायकों में अब दो बचा है। चुनाव परिणाम के बाद देखना है ये दोनों कायम रहते हैं या संख्या घटती है। सपा की एक सीट भी यहां खतरे में लग रही है। भाजपा के दोनों वर्तमान विधायक मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। संभव है राम कदम के रूप में भाजपा को एक और विधायक मिल जाए।       

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