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रविवार, 22 मार्च 2009

ब्लैकमेलिंग

लोक सभा चुनाव जीतकर दिल्ली की गद्दी हथियाने की कोशिश में कांग्रेस,भाजपा और हाल हे में बने तीसरे मोर्चे के नेता एडी चोटी का जोर लगाये हुए हैगठबन्धनों से हटकर देखा जाए तो कांग्रेस का सबसे बड़ी पार्टी बनना बिल्कुल तय है,लेकिन पिछले साल से उसके साथ सत्ता का सुख भोग रहे क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने जिस तरह चुनाव के बीच मझधार में धोखाधडी की है,उससे कांग्रेस को भी सबक लेने की जरुरत हैमहाराष्ट्र में शरद पावर को दिल्ली की कुर्सी का सपना आने लगा है,तो बिहार में लालू प्रसाद कांग्रेस की हैसियत देखने में लग गए हैरामविलास पासवान के बारे में कुछ कहना ही नही चाहिए,क्योकि वो तो जिसकी भी सरकार बने,मंत्री पद पाने के ही जुगाड़ में रहते हैंचुनाव से पहले तक कांग्रेस के स्वर में स्वर मिलाने वाली समाजवादी पार्टी ने भी अब आंख दिखाना शुरू कर दिया हैसपा नेता अमर सिंह को जब लगा की अब मायावती की गाज गिरने वाली है तो सोनिया गाँधी के शरण लिए और चुनाव आते ही अपना रंग बदल दिएजो भी नेता चुनाव से पहले १० जनपथ के चक्कर कटा करते थे,वो आज कांग्रेस से दूरी बनाये हुएब्लैकमेलिंग के इस दौर से अगर कांग्रेस उबर गई ,तो उसको नंबर वन पार्टी बनने से कोई रोक नही सकता

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